Love after 35 क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?

  Love after 35 years   उम्र 35 पार, क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?

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Love after 35-

यह सच्चाई को छुपाये हुए प्यार की एक अद्भुत कहानी है? क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?

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Love After 35: जनवरी का महीना था मौसम साफ होने लगा था। दिन चढ़ता जा रहा था ,मौसम का अनुमान हो चला था।  दिल की उदासी मौसम पर छाई थी और मौसम की उदासी दिल पर। रश्मी खामोशी से तैयार होती जा रही थी। न मन में कोई उमंग, न कोई स्वप्न। आज फिर उसे नुमाइश करनी थी, अपनी। 35 साल  पार कर चुकी रश्मी अब थक चुकी थी,

 न चाहते हुए भी परिवार वालों की जागती उम्मीद हेतु वह हर बार तैयार हो जाती। शुरूशुरू में अच्छी नौकरी के कारण उस ने कई रिश्ते टाले, फिर स्वयं उच्च पदासीन होने के कारण कई रिश्ते निम्न श्रेणी कह कर ठुकराए। 

30 पार करते करते रिश्ते आने कम होने लगे। अब हर 6 माह बीतने बाद रिश्तों के परिमाण के साथ उन की गुणवत्ता में भी भारी कमी दिखने लगी थी।

रश्मी ने प्रोफैशनल जगत में बहुत नाम कमाया। आज वह अपनी कंपनी की  प्रैसीडैंट है। बड़ा कैबिन है, कई मातहत हैं, विदेश आनाजाना लगा रहता है। सभी वरिष्ठ अधिकारियों की चहेती है। 

पर यह कैसी विडंबना है कि जहां एक तरफ उस की कैरियर संबंधी उपलब्धी को इतनी छोटी आयु की श्रेणी में रख सराहा जाता है, ‘‘हमारी बेटी ने बहुत जल्दी बहुत ऊंचा पद हासिल किया है जनाब,’’ महेशजी ने कहा।

यह सुनते ही लड़के की मां ने बिना देर किए प्रश्न दागा, ‘‘घर के कामकाज भी आते हैं या सिर्फ दफ्तरी आती है?’’ ‘हम सोच कर बताएंगे,’ वही पुराना राग अलाप कर लड़के वाले चले गए। समय बीतने के साथ रिश्ता पाने की लालसा में रश्मी के घर वाले उस से कम तनख्वाह वाले लड़कों को भी हामी भर रहे थे।  क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

Love after 35 years   उम्र 35 पार, क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?

लेकिन अब बात उलट चुकी थी। अकसर सुनने में आता कि लड़के वाले इतनी ऊंची पदासीन लड़की का रिश्ता लेने में असहज महसूस करते थे कहते हैं घर में भी मैनेजरी करेगी।

वहीं दूसरी तरफ शादी के लिए उस की उम्र निकल चुकी है। यही विडंबना है लड़कियों की। कैरियर में आगे बढ़ना चाहती हैं तो शादी पीछे रखनी पड़ती है और यदि समय रहते शादी कर लें ।

तो पति, गृहस्थी, बालबच्चों के चक्कर में अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए कैरियर होम करना पड़ता है। क्या हर वह स्त्री जो नौकरी में आगे बढ़ना चाहती है और गृहस्थी का स्वप्न भी संजोती है, उसे सुपर वूमन बनना होगा?

‘‘रश्मी तैयार हो गई? लड़के वाले आते होंगे,’’ मां की पुरजोर पुकार से उस के विचारों की तंद्रा भंग हुई। वर्तमान में लौट कर वह पुन: आईने में स्वयं को देख कमरे से बाहर चली गई।

शाम ढलने तक बिचौलिए के द्वारा पता चल गया कि अन्य रिश्तों की भांति यह रिश्ता भी आगे नहीं बढ़ पाएगा। एक और कुठाराघात। कड़ाके की ठंड में भी उस के माथे पर पसीना उग गया। सोफे पर बैठे बैठे ही उस के पैर कंपकंपा उठे तो उस ने शाल से ढक लिए।

ऐसा लग रहा था कि उस के मन की कमजोरी उस के तन पर भी उतर आई है। पता नहीं उठ कर चल पाएगी या नहीं। उस का मन काफी कुछ ठंडा हो चला था, किंतु आंखों का रोष अब भी बरकरार था।

समय का चक्र चलता रहा। रश्मी के जिद करने पर उस के भाई की शादी करवा दी गई। उस ने शादी का विचार त्याग दिया था। 

सब कुछ समय पर छोड़ नौकरी के साथसाथ सामाजिक कार्य करती संस्था से भी जुड़ गई। मजदूर वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने में उसे सच्चे संतोष की प्राप्ति होती। वहीं उस की मुलाकात अतुल से हुई।

अतुल भी अपने दफ्तर के बाद सामाजिक कार्य करने हेतु इस संस्था से जुड़ा था। उस की उम्र करीब 45 साल होगी। ऐसा बालों में सफेदी और बातचीत में परिपक्वता से प्रतीत होता था।  क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

दोनों की उम्र में इतना फासला होने के कारण रश्मी बेझिझक उस से घुलने मिलने लगी। उस की बातों, अनुभव से वह कुछ न कुछ सीखती रहती।

एक दिन दोनों काम के बाद काफी पी रहे थे। तभी अचानक अतुल ने पूछा, ‘‘बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?  रश्मी तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?’’

‘‘रिश्ते तो आते रहे, किंतु कोई मुझे पसंद नहीं आया तो किसी को मैं। अब मैं ने यह फैसला समय पर छोड़ दिया है। मैं ने सुना है आप ने शादी की थी, लेकिन आप की पत्नी…’’ कहते हुए रश्मी बीच में ही रुक गई।

‘‘उफ, तो कहानी सुन चुकी हो तुम? सब के हिस्से यह नहीं होता कि उन का जीवनसाथी आजीवन उन का साथ निभाए,’’ फिर कुछ पल की खामोशी के बाद अतुल बोला, ‘‘मैं ने सब से झूठ कह रखा है 

कि मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई। दरअसल, वह मुझे छोड़ कर चली गई। उसे जिन सुख सुविधाओं की तलाश थी, वे मैं उसे 30 वर्ष की आयु में नहीं दे सकता था…(Love after 35 years क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?)

‘‘एक दिन मैं दूसरी कंपनी में प्रजेंटेशन दे कर जल्दी फ्री हो गया और सीधा अपने घर आ गया। अचानक घर लौटने पर मैं अपने एहाते में अपने बास की कार को खड़ा पाया। मैं अचरज में आ गया कि बास मेरे घर क्यों आए होंगे।

फटाफट घंटी बजा कर मैं पत्नी की प्रतीक्षा करने लगा। दरवाजा खोलने में उसे काफी समय लगा। 3 बार घंटी बजाने पर वह आई। मुझे देखते ही वह अचकचा गई और उलटे पांव कमरे में दौड़ी। 

इस अप्रत्याशित व्यवहार के कारण मैं भी उस के पीछेपीछे कमरे में गया तो पाया कि मेरा बास मेरे बिस्तर पर कपड़ों के विना अंगड़ाई ले रहा था’  क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

अतुल का गला भर्रा गया। कुछ क्षण वह चुप नीचे सिर किए बैठा रहा। फिर आगे बोला, ‘‘पिछले 4 महीनों से मेरी पत्नी और मेरे बास का अफेयर चल रहा था… मुझ से तलाक लेने के बाद उस ने मेरे बास से शादी  कर ली।’’

रश्मी ने अतुल के कंधे पर हाथ रख सांत्वना दी, ‘‘एक बात पूछूं? आप ने मुझे ये सब बातें क्यों बताईं?’’

कुछ न बोल अतुल चुपचाप रश्मी को देखता रहा। आज उस की नजरों में एक अजीब सा आकर्षण था, एक खिंचाव था जिस ने रश्मी को अपनी नजरें झुकाने पर विवश कर दिया। फिर बात को सहज बनाने हेतु वह बोली, ‘‘अतुलजी, इतने सालों में आप ने पुन: विवाह क्यों नहीं किया?’’(Love after 35 years क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?)

‘‘तुम्हारे जैसी कोई मिली ही नहीं।’’

यह सुनते ही रश्मी अचकचा कर खड़ी हो गई। ऐसा नहीं था कि उसे अतुल के प्रति कोई आकर्षण नहीं था। ऐसी बात शायद उस का मन अतुल से सुनना भी चाहता था पर यों अचानक अतुल के मुंह से ऐसी बात सुनने की अपेक्षा नहीं थी। 

खैर, मन की बात कब तक छिप सकती है भला। दोनों की नजरों ने एकदूसरे को न्योता दे  दिया था।

रश्मी की रजामंदी मिलने के बाद अतुल ने कहा, ‘‘रश्मी, मुझे तुम से कुछ कहना है, जो मेरे लिए इतना मूल्यवान नहीं है, लेकिन हो सकता है कि तुम्हारे लिए वह महत्त्वपूर्ण हो। 

मैं धर्म से ईसाई हूं। किंतु मेरे लिए धर्म बाद में आता है और कर्म पहले। हम इस जीवन में क्या करते हैं, किसे अपनाते हैं, किस से सीखते हैं,

  इन सब बातों में धर्म का कोई स्थान नहीं है। हमारे गुरु, हमारे मित्र, हमारे अनुभव, हमारे सहकर्मी जब सभी अलगअलग धर्म का पालन करने वाले हो सकते हैं, तो हमारा जीवनसाथी क्यों नहीं? 

मैं तुम्हारे गुण, व्यक्तित्व के कारण आकर्षित हुआ हूं और धर्म के कारण मैं एक अच्छी संगिनी को खोना नहीं चाहता। आगे तुम्हारी इच्छा।’’

हालांकि रश्मी भी अतुल के व्यक्तित्व, उस के आचार विचार से बहुत प्रभावित थी, किंतु धर्म एक बड़ा प्रश्न था। वह अतुल को खोना नहीं चाहती थी, खासकर यह जानने के बाद कि वह भी उसे पसंद करता है

 मगर इतना अहम फैसला वह अकेली नहीं ले सकती थी। लड़कियों को शुरू से ही ऐसे संस्कार दिए जाते हैं, 

जो उन की शक्ति कम और बेडि़यां अधिक बनते हैं। आत्मनिर्भर सोच रखने वाली लड़की भी कठोर कदम उठाने से पहले परिवार तथा समाज की प्रतिक्रिया सोचने पर विवश हो उठती है। 

एक ओर जहां पुरुष पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी राय देता है, पूरी बेबाकी से आगे कदम बढ़ाने की हिम्मत रखता है, वहीं दूसरी ओर एक स्त्री छोटे से छोटे कार्य से पहले भी अपने परिवार की मंजूरी चाहती है, 

क्योंकि इसी का समाज संस्कार का नाम देता है। आज रात खाने में क्या बनाऊं से ले कर नौकरी करूं या गृहस्थी संभालू तक मानो संस्कारों को जीवित रखने का सारा बोझ स्त्री के कंधों पर ही है। 

रश्मी ने यह बात अपनी मां के साथ बांटी, ‘‘आप क्या सोचती हैं इस विषय पर मां?’’ 

मां ने प्रतिउत्तर प्रश्न किया, ‘‘क्या तुम अतुल से प्यार करती हो?’’

रश्मी की चुप्पी ने मां को उत्तर दे दिया। वे बोलीं, ‘‘देखो रश्मी, तुम्हारी उम्र मुझे भी पता है और तुम्हें भी। मैं चाहती हूं कि तुम्हारा घर बसे, तुम्हारा जीवन प्रेम से सराबोर हो,

तुम भी अपनी गृहस्थी का सुख भोगो। मगर अब तुम्हें यह सोचना है कि क्या तुम दूसरे धर्म के परिवार में तालमेल बैठा पाओगी… यह निर्णय तुम्हें ही लेना है।’’

रश्मी की मां से हामी मिलने पर अतुल उसे अपने घर अपने परिवार वालों से मिलाने ले गया। अतुल  के पिता का देहांत हो चुका था। घर में मां व छोटा भाई थे। रश्मी को अतुल की मां पसंद आई।‘‘विवाह के बाद कौन क्या करेगा, 

अभी इस का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। अतुल की पहली शादी हम ने अपनी बिरादरी में की थी, लेकिन अब इतने वर्षों के बाद यह किसी को पसंद कर रहा है तो जरूर उस में कुछ खास होगा “मां खुश थीं।

लेकिन रश्मी हिंदू है यह जान कर अतुल के भाई का मुंह बन गया।  कुछ ही देर में अतुल की बड़ी विवाहित बहन आ पहुंची। 

उसे अतुल के छोटे भाई ने फोन कर बुलाया था। बहन ने आ कर काफी हंगामा किया, ‘‘तेरे को शादी करनी है तो मुझ से बोल। मैं लाऊंगी तेरे लिए एक से एक बढि़या लड़की, (Love after 35 years क्या रश्मि की शादी हो पायेगी?)

 यह तो सोच कि एक हिंदू लड़की, एक तलाकशुदा ईसाई लड़के से, जो उस से उम्र में भी बड़ी है, शादी क्यों करना चाहती है। तूने अपना पास्ट इसे बता दिया, पर कभी सोचा कि जरूर इस का भी कोई लफड़ा रहा होगा? इस ने तुझे कुछ बताया? क्या तू हम से छिपा रहा है?’’

लेकिन अतुल अडिग था। उस ने सोच लिया था कि जब दिल ने पुल बना लिया है तो वह उस पर चल कर अपने प्यार की मंजिल तक पहुंचेगा। 

रास्ते का प्यार Love Story ih Hindi

रश्मी प्रसन्न थी कि अतुल व उस की मां को यह रिश्ता मंजूर है, साथ ही थोड़ी खिन्नता भी मन में थी कि उस के भाई व बहन को इस रिश्ते पर ऐतराज है। क्यूँकि Love after 35 years था

अब रश्मी ने अपने घर में पिता और भाई को इस रिश्ते के बारे में बताने का निश्चय किया। 

अलावा घर का अन्य कोई सदस्य नहीं चाहता था की शादी अतुल से हो 

अगले दिन पिता ने बूआ का बुला लिया। रश्मी अपनी बूआ से हिलीमिली थी। अत: पिता ने बूआ को मुहरा बनाया उसे समझा कर शादी से हटाने हेतु। बूआ ने हर तरह के तर्कवितर्क दिए, उसे इमोशनल ब्लैकमेल किया।

उन की बातें जब पूरी हो गईं तो रश्मी ने बस एक ही वाक्य कहा, ‘‘बूआ, मैं बस इतना कहूंगी कि यदि मैं अतुल से शादी नहीं करूंगी तो किसी से भी नहीं करूंगी।’’

किंतु अपेक्षा के विपरीत रश्मी का शादी न करने का निर्णय उस के पिता व भाई को स्वीकार्य था। लेकिन दूसरे धर्म के नेक, प्यार करने वाले लड़के से शादी नहीं। क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था

अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर पिता बोले, ‘‘रश्मी की शादी के लिए मैं ने एक लड़का देखा है।

हमारे गोपीजी का भतीजा। देखाभाला परिवार है। उन्हें भी शादी की जल्दी और हमें भी,’’ उन्होंने घृणाभरी दृष्टि रश्मी पर डाली।

रश्मी का मन हुआ कि वह इसी क्षण वहां से कहीं लुप्त हो जाए। उसी शाम से हिंदुत्व प्रचारक सोना के प्रमुख देव  के गुंडे रश्मी के पीछे लग गए। उस के दफ्तर के बाहर खड़े रहते। रास्ते भर उस का पीछा करते ताकि वह अतुल से न मिल सके।

कई  दिनों की लुकाछिपी से रश्मी काफी परेशान हो गई।  क्या हम इसीलिए अपनी बेटियों को शिक्षित करते हैं, उन्हें आगे बढ़ने, प्रगति करने की प्रेरणा देते हैं कि यदि उन के एक फैसले से हम असहमत हों तो उन का जीना दूभर कर दें? यह संकुचित सोच उस की मां को कुंठित कर गई।

रात के भोजन पर रश्मी के मन पर छाए चिंताओं के बादल से या तो वह स्वयं परिचित थी या उस की मां। अन्य सदस्य बेखबर थे। वे तो समस्या का हल खोज लेने पर भोजन का रोज की भांति स्वाद उठा रहे थे, हंसी मजाक से माहौल हलका बनाए हुए थे।

अचानक मां ने अपना निर्णय सुना दिया, ‘‘रश्मी, तुम मन में कोई  चिंता न रख। तुम आज तक बहुत अच्छी बेटी, बहुत अच्छी बहन बन कर रही हो । अब हमारी बारी है।

आज यदि तुम्हें कोई ऐसा मिला है जिस से तुम्हारा मन मिला है तो हम तुम्हारी खुशी में रोड़े नहीं अटकाएंगे।’’  इस से पहले कि पिता टोकते वे उन्हें रोकती हुई आगे बोलीं, ‘‘कर्तव्य केवल बेटियों के नहीं होते, परिवारों के भी होते हैं। अतुल के परिवार से मैं मिलूंगी और शादी की बात  आगे बढ़ाऊंगी।’’

मां के अडिग अटल निर्णय के आगे सब  चुप थे। शादी के दौरान भी तनाव कुछ कम नहीं हुआ। दोनों परिवारों में शादी को ले कर न तो रौनक थी और न ही उल्लास। क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

रश्मी के पिता और भाई ने शादी का कार्ड इसलिए नहीं अपनाया था, क्योंकि उस पर बाइबिल की पंक्तियां लिखी जाती थीं।

और अतुल के रिश्तेदारों को उस पर गणेश की तसवीर से आपत्ति थी। केवल दोनों की मांओं ने ही आगे बढ़चढ़ कर शादी की तैयारी की थी। बेचारे दूल्हादुलहन दोनों डरे थे कि शादी में कोई विघ्न न आ जाए। क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

शादी हो गई तब भी रश्मी थोड़ी दुखी थी। बोली, ‘‘कितना अच्छा होता यदि हमारे परिवार वाले भी सहर्ष हमें आशीर्वाद देते।’’  मगर अतुल की बात ने उस की सारी शंका दूर कर दी। 

 बोलीं, ‘‘कई बार हमें चुनना होता है कि हम किसे प्यार करते हैं। हम दोनों ने जिसे प्यार किया, उसे चुन लिया। यदि वे हम से प्यार करते होंगे, हमारी खुशी में खुश होंगे तो हमें चुन लेंगे।’’ 

अब मन में बिना कोई दुविधा लिए दोनों की आंखों में सुनहरे भविष्य के उज्जवल सपने थे।  क्यूँकि यह प्यार Love after 35 years था।

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