असली वर कौन बेताल पच्चीसी पाँचवीं कहानी

असली वर कौन? बेताल पच्चीसी : उज्जैन में महाबल नाम का एक राजा रहता था। उसके यहाँ हरिदास नाम का एक दूत था।  हरिदास के महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर सुयोग्य कन्या थी।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

महादेवी जब  विवाह के योग्य हो गई तो हरिदास को बहुत चिन्ता होने लगी। इसी बीच राजा ने उसे एक दूसरे राजा के पास भेजा।

कई दिन का सफर तय करके  हरिदास वहाँ पहुँचा। राजा ने उसे बड़ी अच्छी तरह से अपने पास रखा।

एक दिन एक ब्राह्मण हरिदास के पास आया और कहा  “तुम अपनी लड़की मुझे दे दो।”

हरिदास ने कहाँ, “मैं अपनी लड़की उसे दूँगा, जो सर्वगुण संपन्न होगा।”

तब ब्राह्मण ने कहा, “हमारे पास एक ऐसा रथ है, जिस पर बैठकर जहाँ चाहो क्षणभर में पहुँच जाओगे।”

हरिदास बोला, “ठीक है। सबेरे उसे ले आना।”

असली वर कौन?

पढ़िए विक्रम बेताल पच्चीसी को पांचवी कहानी असली वर कौन?

वह ब्राम्हण अगले दिन रथ लेकर आया और दोनों रथ पर बैठकर उज्जैन आ पहुँचे। दैवयोग से उससे पहले हरिदास का लड़का अपनी बहन को किसी दूसरे को और हरिदास की स्त्री अपनी लड़की को किसी तीसरे को देने का वादा कर चुकी थी।

इस तरह तीन वर इकट्ठे हो गये। हरिदास सोचने लगा कि कन्या एक है, और युवक तीन हैं। क्या करे किसके साथ विवाह करे!  असली वर किसको चुने।

ब्राम्हण यह सोच ही रहा था तभी  एक राक्षस आया और उस लड़की को उठाकर विंध्याचल पहाड़ पर लेके चला  गया।

ब्राम्हण ने यह बात उन तीनो को बताई   उन तीनों वरों में एक ज्ञानी था। उसने हरिदास को बताया कि कि एक राक्षस  एक लड़की को उड़ाकर ले  गया है और वह विंध्याचल पहाड़ पर है।

विक्रम बेताल पच्चीसी को पांचवी कहानी असली वर कौन
विक्रम बेताल पच्चीसी को पांचवी कहानी असली वर कौन

दूसरे ने कहा, “मेरे रथ पर बैठकर चलो। ज़रा सी देरी में वहाँ पहुँच जायेंगे।”

तीसरा बोला, “मैं शब्दवेधी तीर चलाना जानता हूँ। राक्षस को मार गिराऊँगा।”

वे सब रथ पर चढ़कर विंध्याचल पर्वत पर पहुँचे।  राक्षस के साथ उनका युद्ध हुआ। शब्दभेदी तीर चलने वाले वर ने राक्षस को मर गिराया और राक्षस को मारकर लड़की को बचा लिया ।

राजा बताओ असली वर कौन?

इतना कहकर बेताल बोला “हे राजन्! बताओ, वह लड़की उन तीनों में से किसको मिलनी चाहिए? असली वर कौन होना चाहिए।

राजा ने कहा, “जिसने राक्षस को मारा, उसकों मिलनी चाहिए, वही असली वर है  क्योंकि असली वीरता तो उसी ने दिखाई। बाकी दो ने तो मदद की।”

राजा का इतना कहना था कि बेताल राजा की पीठ से गगयाब हो गया और  फिर पेड़ पर जाकर  लटक गया  और राजा फिर पेड़ के पास गया उसे लेकर आया तो रास्ते में बेताल की फिर वही रास्ता कठिन है अँधेरी रात है  रास्ता काट जय इसलिए तुम्हे एक हुए कहानी सुनाता हूँ।  वेताल ने छठी कहानी सुनायी।

पढ़िए विक्रम बेताल की चौथी कहानी सबसे जयादा पापी कौन?