Motivational कहानी शेर और बन्दर , चार मोमबत्तियां motivational कहानी, हीरे की खान motivational कहानी
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!Motivational story:एक गाँव था, उस गाँव के रास्ते में बहुत घना जंगल था, जंगल घना होने के कारण तरह तरह के पशु-पक्षी और जंगली जानवर रहते थे। जंगल मे एक शेर और बन्दर भी रहता था। बड़ा जंगल था तो शेर का होना स्वाभाविक है। शेर कभी-कभी गाँव में घुसकर काफी तहलका मचाता था. शेर से छुटकारा पाने के लिए गाँव वाले जंगल के रास्ते में एक पिंजड़ा रख देते है।
रात हुई सभी गॉववाले अपने-अपने घरों के अन्दर हो गये, गाँव में शांती हो गयी। शेर उसी रास्ते से गाँव की ओर जाने के लिए निकला। रास्ते में लगे पिंजड़े में शेर का पैर फंस गया और भारी शरीर होने के कारण शेर पिंजड़े में बंद हो गया, अब वह शेर उस पिंजड़े में बुरी तरह से फंस चुका था काफी कोशिश करने के बावजूद भी शेर पिंजड़े से नहीं निकल पाया. पूरी रात शेर पिंजड़े में ही कैद रहा।
सुबह हुई कुछ समय बाद उसी रास्ते से गाँव का एक व्यक्ति जा रहा था। व्यक्ति को देखकर शेर बोला- “ओ भाई! ओ भाई!” वह व्यक्ति शेर को पिंजड़े में देखकर डर गया। रातभर बंद रहने के कारण शेर को काफी तेज़ की भूख लगी थी।
शेर ने उस व्यक्ति से कहा- “मेरी सहायता करो. मुझे बहुत तेज़ की प्यास लगी है. कृपया पानी पिला दो”
व्यक्ति बोला – “नहीं! नहीं! मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता. तुम एक मांसाहारी जीव हो, तुम्हारी फितरत लोगो को मारना है तुम मुझे ही अपना शिकार बना सकते हो!” शेर बोला- “नही भाई! मैं ऐसा नहीं करूंगा”
1.शेर की लाचारी-
शेर की लाचारी देखकर उस व्यक्ति को शेर पर दया आ गयी और वह बगल के तालाब से पानी ले आया और शेर को पानी पिलाया। शेर ने पानी पिया उसके बाद फिर उस व्यक्ति से बोला- “प्यास तो बुझ गयी, पूरी रात से भूखा हूँ अब कुछ खाने को दे दो, वह व्यक्ति शेर के लिए भोजन की व्यवस्था में जुट गया और कहीं से उसका भोजन ले आया, शेर ने भोजन किया.
शेर और बन्दर की रोचक motivational Story
इसके बाद वह व्यक्ति जाने लगा।
शेर ने फिर से आवाज लगायी- “ओ भले इन्सान! मैं इस पिंजड़े में बुरी तरह से फंस चुका हूँ, कृपा करके मुझे इस पिंजड़े से आजाद करा दो” वह व्यक्ति बोला-“नहीं! नहीं! मैं तुम्हारी और सहायता नहीं कर सकता। तुम एक मांसाहारी जीव हो, पिंजड़े के बाहर आते ही तू अपने असली रूप में आ जाएगा”
शेर बोला- नहीं ,”मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा. तुम्हारे परिवार को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा”
वह व्यक्ति उसकी बात मान कर पिंजड़ा का दरवाजा खोल दिया और शेर बाहर आ गया। शेर पिंजड़े से बहार आते ही चैन की साँस लिया और बोला मेरी अभी तक भूख मिटी नहीं है और भोजन भी सामने है, और भोजन तलाशने का भी जरुरत नही है। अब झट से तुझे अपना शिकार बना लेता हूँ.
इतना सुनकर वह व्यक्ति डर से काँपने लगा और बोला- तुम अपनी बात से मुकर रहे हो ,तुम बेईमानी नहीं कर सकते, तुमने पहले ही बोला था कि तुम हमे नहीं खाओगे और हमारे परिवार को भी नुकसान नहीं पहुंचाओगे, तो अब ऐसा क्यों कर रहे हो.”
शेर बोला – मैं मांसाहारी जीव हूँ। मुझे बहुत जोर से भूख लगी है तो अब मै तुझे ही खाऊंगा . संयोग से ये सब घटना पास के एक पेड़ पर बैठा बन्दर देख रहा था. शेर और उस व्यक्ति में बहस चल ही रही थी तभी बीच में बन्दर बोल पड़ा – “क्या बात है! क्या बहस हो रही है?
2.शेर और बन्दर की बातचीत-
उस व्यक्ति ने बन्दर को सारी बात बताई। बन्दर बोला- अच्छा! तो ये बात है। वैसे मुझे एक बात समझ नहीं आई, इतने मे शेर और बन्दर की बहस छिड़ गयी इतना बड़ा शेर इस छोटे से पिंजड़े में कैसे आ सकता है? नहीं ! नहीं ! ये हो ही शेर इस पिजड़े में नहीं आ नहीं सकता!”
” बन्दर बोला – “मैं कैसे यकीन करूं?”
यह सुनकर शेर को अपनी बेइज्जती महसूस हुई और उससे रहा नहीं गया और शेर बोला- “ये बंदर ठीक कह रहा है,
शेर बोला – फिर से इस पिंजड़े में जाकर मैं अभी दिखा देता हूँ, .” और इतना कह शेर फिर से उस पिंजड़े में चला जाता है और पिंजड़ा का दरवाजा बंद हो जाता है और उसके बाद शेर बोला- “देखो मैं इसी तरह पिंजड़े में था”
शेर और बन्दर की रोचक
बन्दर उस व्यक्ति से बोला – “अब देख क्या रहे हो तुरंत अपनी जान बचा कर भाग लो!” और बन्दर वहाँ से भाग जाता है। शेर फिर से पिंजड़े में कैद हो जाता है।
शेर और बन्दर की इस कहानी में बन्दर ने व्यीक्ति की मदद की।
3.शिक्षा:-
दोस्तों! शेर और बन्दर की कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी की मदद करें तो सोच समझ कर करें। विश्वास उसी पर करें जो सचमुच में विश्वास करने लायक हो। बहुत से लोग सच बोलने का दिखावा करते हैं और सामने वाला व्यक्ति उन पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं। ऐसे दुष्ट लोगों से दूर रहने में ही भलाई है।
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शेर और बन्दर की अद्भुत कहानी में आपने क्या सीखा जरूर बताएं
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चार मोमबत्तियां motivational Story
रात का समय था. चारों ओर घुप्प अंधेरा छाया हुआ था. केवल एक ही कमरा प्रकाशित था. वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी.
चारों मोमबत्तियाँ एकांत देख आपस में बातें करने लगी. पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ. जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ. चारों ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है. ऐसे में यहाँ रहना बहुत मुश्किल है. मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती.” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई.
दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, “मैं विश्वास हूँ. मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी मेरा वजूद ख़त्म करते जा रहे हैं. ये जगह अब मेरे लायक नहीं रही. मैं भी जा रही हूँ.” इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई.
तीसरी मोमबत्ती भी दु:खी थी. वह बोली, “मैं प्रेम हूँ. मैं हर किसी के लिए हर पल जल सकती हूँ. लेकिन अब किसी के पास मेरे लिए वक़्त नहीं बचा. स्वार्थ और नफरत का भाव मेरा स्थान लेता जा रहा है. लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेम-भावना नहीं बची. अब ये सहना मेरे बस की बात नहीं. मेरे लिए जाना ही ठीक होगा.” कहकर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई.
चार मोमबत्तियां motivational Story
तीसरी बत्ती बुझी ही थी कि कमरे में एक बालक ने प्रवेश किया. मोमबत्तियों को बुझा हुआ देख उसे बहुत दुःख हुआ. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. दु:खी मन से वो बोला, “इस तरह बीच में ही मेरे जीवन में अंधेरा कर कैसे जा सकती हो तुम. तुम्हें तो अंत तक पूरा जलना था. लेकिन तुमने मेरा साथ छोड़ दिया. अब मैं क्या करूंगा?”
Motivational Story of 4 candles
बालक की बात सुन चौथी मोमबत्ती बोली, “घबराओ नहीं बालक. मैं आशा हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ. जब तक मैं जल रही हूँ, तुम मेरी लौ से दूसरी मोमबत्तियों को जला सकते हो.”
चौथी मोमबत्ती की बात सुनकर बालक का ढाढस बंध गया. उसने आशा के साथ शांति, विश्वास और प्रेम को पुनः प्रकाशित कर लिया.
सीख
जीवन में समय एक सा नहीं रहता. कभी उजाला रहता है, तो कभी अँधेरा. जब जीवन में अंधकार आये, मन अशांत हो जाये, विश्वास डगमगाने लगे और दुनिया पराई लगने लगे. तब आशा का दीपक जला लेना. जब तक आशा का दीपक जलता रहेगा, जीवन में कभी अँधेरा नहीं हो सकता. आशा के बल पर जीवन में सबकुछ पाया जा सकता है. इसलिए आशा का साथ कभी ना छोड़े.
Motivational Story In Hindi On Opportunity |
हीरे की खान motivational Story
अफ्रीका महाद्वीप में हीरों की कई खानों की खोज हो चुकी थी, जहाँ से बहुतायत में हीरे प्राप्त हुए थे. वहाँ के एक गाँव में रहने वाला किसान अक्सर उन लोगों की कहानियाँ सुना करता था, जिन्होंने हीरों की खान खोजकर अच्छे पैसे कमाये और अमीर बन गए. वह भी हीरे की खान खोजकर अमीर बनना चाहता था.
हीरे की खान motivational कहानी
एक दिन अमीर बनने के सपने को साकार करने के लिए उसने अपना खेत बेच दिया और हीरों की खान की खोज में निकल पड़ा. अफ्रीका के लगभग सभी स्थान छान मारने के बाद भी उसे हीरों का कुछ पता नहीं चला. समय गुजरने के साथ उसका मनोबल गिरने लगा. उसे अपना अमीर बनने का सपना टूटता दिखाई देने लगा. वह इतना हताश हो गया कि उसके जीने की तमन्ना ही समाप्त हो गई और एक दिन उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी.
इस दौरान दूसरा किसान, जिसने पहले किसान से उसका खेत खरीदा था, एक दिन उसी खेत के मध्य बहती छोटी नदी पर गया. सहसा उसे नदी के पानी में से इंद्रधनुषी प्रकाश फूटता दिखाई पड़ा. उसने ध्यान से देखा, तो पाया कि नदी के किनारे एक पत्थर पर सूर्य की किरणें पड़ने से वह चमक रहा था. किसान ने झुककर वह पत्थर उठा लिया और घर ले आया.
हीरे की खान motivational Story
वह एक ख़ूबसूरत पत्थर था. उसने सोचा कि यह सजावट के काम आएगा और उसने उसे घर पर ही सजा लिया. कई दिनों तक वह पत्थर उसके घर पर सजा रहा. एक दिन उसके घर उसका एक मित्र आया. उसने जब वह पत्थर देखा, तो हैरान रह गया.
उसने किसान से पूछा, “मित्र! तुम इस पत्थर ही कीमत की जानते हो?”
किसान ने जवाब दिया, “नहीं.”
“मेरे ख्याल से ये हीरा है. शायद अब तक खोजे गए हीरों में सबसे बड़ा हीरा.” मित्र बोला.
किसान के लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल था. उसने अपने मित्र को बताया कि उसे यह पत्थर अपने खेत की नदी के किनारे मिला है. वहाँ ऐसे और भी पत्थर हो सकते हैं.”
हीरे की खान motivational Story
दोनों खेत पहुँचे और वहाँ से कुछ पत्थर नमूने के तौर पर चुन लिए. फिर उन्हें जाँच के लिए भेज दिया. जब जाँच रिपोर्ट आयी, तो किसान के मित्र की बात सच निकली. वे पत्थर हीरे ही थे. उस खेत में हीरों का भंडार था. वह उस समय तक खोजी गई सबसे कीमती हीरे की खदान थी. उसका खदान का नाम ‘किम्बर्ले डायमंड माइन्स’ है. दूसरा किसान उस खदान की वजह से मालामाल हो गया.
पहला किसान अफ्रीका में दर-दर भटका और अंत में जान दे दी. जबकि हीरे की खान उसके अपने खेत में उसके क़दमों तले थी.
सीख
मित्रों, इस कहानी में हीरे पहले किसान के कदमों तले ही थे, लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं पाया और उनकी खोज में भटकता रहा. ठीक वैसे ही हम भी सफलता प्राप्ति के लिए अच्छे अवसरों की तलाश में भटकते रहते हैं. हम उन अवसरों को पहचान नहीं पाते या पहचानकर भी महत्व नहीं देते, जो हमारे आस-पास ही छुपे रहते हैं. जीवन में सफ़ल होना है, तो आवश्यकता है बुद्धिमानी और परख से उन अवसरों को पहचानने की और धैर्य से अनवरत कार्य करने की. सफ़लता निश्चित है
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